लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा ऐसी है जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते हैं। 'बालिका वधु' स्टार शशांक व्यास ने इस मामले पर एक सुंदर कविता के साथ अपनी राय दी है। इस कविता का उन्होंने शीर्षक रखा हैं, "बस चल रहा है।" वीडियो में अभिनेता द्वारा आवाज वाले प्रवासी मजदूरों के चित्र हैं।
हिम्मत टूट रही हैं, सांसें फूल रही हैं:"धुप तेज है लेकिन चल रहा हैं, देखें थे कुछ सपने, विश्वास भी था मन में, लेकिन अब बिना किसी उम्मीद से चल रहा हैं...हिम्मत टूट रही हैं, सांसें फूल रही हैं, लेकिन फिर भी बिना किसी सहारे चल रहा हैं”।
मजदूरों को देखकर मुझे दर्द होता हैं:कविता के पीछे उनकी भावना के बारे में बात करते हुए अभिनेता ने कहा, “मैं उनकी हालत को महसूस कर सकता हूं। मेरे एसी में बैठकर सोच रहा था कि एक कमरे में, सभी तरह की लक्जरी हैं, लेकिन दूसरे कमरे में, किसी के पास कुछ भी नहीं है, पानी तक नहीं। मजदूरों को देख कर मुझे दर्द होता हैं। भारत हमारा घर है, हम सभी एक बड़े परिवार का हिस्सा हैं। हमारे देश के एक बड़े हिस्से को हमने बस ऐसे ही रोड पर चलने के लिए छोड़ दिया हैं।
कविता के जरिए व्यक्त की भावना:वे आगे कहते हैं, “मैं मानवता पर सवाल उठा रहा हूं। मैंने एक बेटे को उसकी मां, गर्भवती महिलाओं, बच्चों को ले जाते हुए देखा। हम सब घर पर कैसे बैठ सकते हैं। मैं इतना असहाय महसूस कर रहा था कि मैंने अपनी भावनाओं को एक कविता के जरिए लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया। मूल प्रश्न यह है कि वे सड़कों पर क्यों हैं? और सड़कों पर आने के बाद भी उन्हें कोई परिवहन उपलब्ध नहीं कराया गया है। बच्चे इससे क्या सीखेंगे? मानवता का अभाव।"
हर दिन करता हूं सलामती की दुआ:मुझे लगता है कि उन मजदूरों को यह कहते हुए विश्वास में लिया जाना चाहिए कि उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। दूसरी बात, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों द्वारा अलग-अलग टीमें बनाकर उन्हें बुनियादी किराने का सामान मुहैया कराया जाना चाहिए। बस हर दिन यही दुआ करताहूं कि ये सभी सही सलामत अपने घर पहुंच जाएं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2yoD4Wp

No comments:
Post a Comment